Local & Vocal मुहिम
भारत से सम्बन्ध खराब करने से चीन को कितना नुकसान..?
किसी भी देश की वित्तीय स्थिति तीन बातो पर निर्भर होती है पहला की उस देश का import & export कितना है दूसरा की वो देश कितना इन्वेस्टमेंट किये है दूसरे देशों में और तीसरा और आखिरी की वो देश टैक्स से कितना धन कमाता है । ये तीन चीजे किसी भी देश की कमाई का माध्यम होती है। अब अगर हम इसे भारत और चीन के संधर्भ में देखे तो ये साफ हो जाता है कि अगर दोनों देशों के बीच संबंध खराब होते है तो किसको कितना नुकसान होगा ।
तो सबसे पहले कुछ आकड़ो पर नजर डालते है जैसे चीन भारत मे प्रति वर्ष 8 अरब अमेरिकन डॉलर का निवेश करता है जबकि भारत का निवेश चीन में इसका दो तिहाई भी नही है । जो प्रति वर्ष बढ़ता रहता है जैसे 2014 में चीन का निवेश भारत मे 1.6 अरब डॉलर का था जो बढ़ के अब 8 अरब तक पहुच गया है। तो इस आंकड़े से ये साफ हो जाता है कि अगर भारत और चीन के बीच संबंध खराब होते है तो चीन को 8 अरब डॉलर का सीधा नुकशान है ।
अब आते है import & export पर export किसी भी देश की कमाई का एक बहुत बड़ा जरिया होता है । इसके आकड़ो पर अगर नजर डाले तो चीन भारत मे प्रति वर्ष 30 अरब डॉलर का export करता है मतलब चीन प्रति वर्ष अपना सामान हमे बेच कर 30 अरब डॉलर कमाता है जबकि भारत चीन को सिर्फ 1.7 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट करता है अगर हम सरल भाषा मे समझे तो हम चीन से अगर 1.7 रूपए कमाते है तो चीन हमसे 30 रुपए कमाता है तो इसका सीधा मतलब है कि हम चीन के एक बड़े उपभोगता है ।तो अगर भारत और चीन के सम्बंध बिगड़ते है तो चीन को एक भारी नुकसान होगा जो 30 अरब डॉलर का है।
अब बात करते है टैक्स की तो यहां पर भारत को ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि अगर हमारा निवेश और एक्सपोर्ट चीन से कम है तो सीधा मतलब ये है कि हम टैक्स भी चीन को कम देंगे उसी जगह भारत को चीन से टैक्स की कमाई ज्यादा होगी क्योंकि उनका निवेष और एक्सपोर्ट ज्यादा है ।
इसी लिए अब यहां पर ये जरूरी हो जाता है कि हम अपने लोकल व्यवसाय को प्रोतसाहित करे क्योकि हमे चीन से सिर्फ टैक्स की कमाई का ही नुकसान है जिसकीे हम आने वाले समय मे भरपायी कर सकते है। ऐसा नही है कि हमारे देश मे योग्यता या संसाधनो की कोई कमी है बस उनको प्रोत्साहित करने की जरूरत है । जो वस्तु हम चीन से खरीद रहे थे वही वस्तुये अगर हमारे देश की कंपनी बनाने लगेगी तो एक हम आत्मनिर्भर बनेगे साथ ही जो टैक्स हम चीन की कंपनियों से कमा रहे थे आने वाले समय मे हमारी कंपनीया ही हमे देने लगेगी क्योकि जो उपभोगता अभी तक चीन का सामान उपभाग करता था वो पूरा मार्केट हमारे देश का हमारी ही कंपनियों को मिल जाएगा । और हम फिर अपने सामान को दूसरे देशों को एक्सपोर्ट भी कर सकेंगे । तो जो टैक्स का हमे चीन से नुकसान हुआ उसे चार गुना बढ़ा के आने वाले समय मे हम भरपाई कर सकते है ।
और ये सम्भव है क्योंकि कोरोना महामारी से पहले हमारे यहां वेंटिलेटर नही बनते थे इसके लिए भी हम चीन पर निर्भर थे पर अब हम खुद बना रहे है यह तक मास्क भी हम चीन से खरीदते थे पर आज घर घर मे मास्क बनने लगे। तो जरूरत हमे सिर्फ और सिर्फ अपने आप पर विश्वास करने की है और आत्मनिर्भर बनने की है । अंग्रेजी में एक कहावत है " need is the mother of invention " (जब जरूरत पड़ती है अविष्कार तभी होते है), हमे चीन से हुए मनमुटाव को एक अवसर के रूप में लेना होगा और सभी को मिल कर " मेड इन इंडिया " मुहिम को सफल बनाना होगा । दुनिया का कोई भी देश तब तक शाक्तिशाली नही बना जब तक वो आत्मनिर्भर नही बना ।
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